शूटिंग के लिए बनाए गए थे 300 सीटर प्लेन और 30 टैंक।
बता दें कि यह फिल्म 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंग पर बेस्ड है। मेकर्स ने इसके लिए 15 इंडियन और 15 पाकिस्तानी फाइटर प्लेन भी डिजाइनिंग किए। प्रोडक्शन टीम ने इतनी ही तादाद में टैंक्स भी क्रिएट किए। जो असल टैंक से कम नहीं लगते थे। इंडियन आर्मी की तरफ से कुछ एक ओरिजिनल टैंक भी मेकर्स को मिले।
6 फुट ऊपर लैब पोस्ट पर रखे फानूस को एक ही बार में बुझा दिया।
फिल्म के एक सीन में पाकिस्तानी फाइटर प्लेन जब भुज एयरबेस पर हमला करते हैं, तो उससे बचने के लिए इंडियन आर्मी इमारतों और लैंप पोस्ट पर जल रहे फानूस को बुझाना था। सीन के मुताबिक अजय के किरदार को 6 फुट ऊंचे लैंपोस्ट पर रखे उस फानूस को पैर से पत्थर मारकर बुझाना था। वैसा करने में हमारे फाइट मास्टर पीटर ने दर्जनों प्रयास किए मगर वो फोड़ नहीं सके। डायरेक्टर अभिषेक ने भी 30 बार अटेंप्ट किया, मगर यह सीन उनसे भी नहीं हुआ पर जब मैं कसने अजय को यह शर्ट समझाया तो उन्होंने एक ही बार में पैर से पत्थर मार के फानूस को बुझा दिया।
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